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जिन परों में उड़ान ज़िंदा है / अलका मिश्रा
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जिन परों में उड़ान ज़िंदा है
उनमें इक आसमान ज़िंदा है
हारी बाज़ी वो जीतना चाहे
याने अब भी गुमान ज़िंदा है
वक़्त ने घाव भर दिया लेकिन
अब भी उसका निशान जिंदा है
आदमी हौसला रखे कब तक
रोज़ इक इम्तिहान ज़िंदा है
जाके ऊँचाइयों पे ये जाना
अब भी इक पायदान ज़िंदा है