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जिन्दगी सोज़ नहीं / राजश्री गौड़
Kavita Kosh से
जिन्दगी सोज़ नहीं साज बना कर देखो,
दिल के सोये हुए जज़्बात जगा कर देखो।
फूल ही फूल नजर आयेंगे तुमको जानाँ,
ध्यान काँटों से तुम इक बार हटा कर देखो।
नूर खुशियों का तभी तुमको नज़र आयेगा,
कोहरा मायूसी का इस दिल से हटा कर देखो।
रस्मे उल्फत को निभायें ये नहीं है आसां,
हर तरफ ख़ार हैं दामन को बचा कर देखो।
उलझे उलझे से मेरे दिल में कमी खलती है,
चाहे इक बार सही दिल मे समा कर देखो।
सूख जाये न कहीं यूं ही ये अरमाँ की जमीं,
दिल के आँगन में कोई फूल खिला कर देखो।