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जिसने तुमको जन्म दिया / हरेराम बाजपेयी 'आश'

जिसने तुमको जन्म दिया, उस जननी को पहचानो रे,
नारी तो जग की शक्ति है, उस शक्ति को पहचानो रे।

नारी ने संसार रचा है, नर तो केवल साधन है,
नारी ही पालन करती है, नर तो केवल नाम है,
जिसने तुमको जन्म दिया रे, उस जननी को पहचानो रे॥

अगर कहीं नारी ना होती, यह संसार नहीं होता,
अगर कहीं नारी ना होती, तो घर-बार नहीं होता।
खुद को करे निछावर सब पर, उस तपस्वनी को जानो रे। 2

जो नारी को अबला समझें, उससे बड़ा मूर्ख ना कोई,
जो नारी को साधन समझे, उससे बड़ा धूर्त ना कोई...
जिसमें धरती-सा धीरज है, उस सहनशील को जानो रे।
खुद को करे निछावर सब पर, उस तपस्वनी को जानो रे। 3

नारी माता, नारी पत्नी, नारी ही होती बहना,
नारी ममता, नारी समता, नारी ही पवन गहना,
नारी गंगा, नारी सीता, नारी ही मरियम थी भाई,
वही है माता, वही मदर है, व्ही कहाती है आई,
जिसमें प्रेम-दया और ममता, उस महिमा को पहचानो रे,
जिसने तुमको जन्म दिया रे, उस जननी को पहचानो रे॥