भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिसे हमने दिल में बसा लिया / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिसे हमने दिल में बसा लिया वह मिले हमें ये दुआ करें।
जिस मोड़ पर खड़ी ज़िन्दगी वहाँ गम न आ के मिला करें॥

वही दिल के अपने करीब हो जिसे गम हमारा अजीज़ हो
हो मसर्रतों की तलाश तो कभी अश्क़ भी तो पिया करें॥

उन्हीं गुलशनों की न बात हो जहाँ ख़ार चुभते रहें सदा
लगीं कंटकों की जो महफिलें वहाँ फूल भी तो खिला करें॥

जहाँ रह रही हैं मोहब्बतें कहीं पर तो होंगी वह बस्तियाँ
क्यूँ न मिल के आओ तलाश लें उन्हीं बस्तियों में रहा करें॥

चलो मान हम ने लिया कि है ये तो दहशतों से भरा जहाँ
उठे प्यार की भी लहर यहाँ हैं जो नफ़रतें तो हुआ करें॥

यहाँ दूर तक तनहाइयाँ ये खामोशियों का है इक शहर
जो मसर्रतों के हों सिलसिले शहनाइयाँ भी बजा करें॥

कभी ज़िन्दगी न उदास हो छिपी दिल में सबके ही आस हो
जहाँ हो समन्दर प्यार का उस ओर नदियाँ बहा करें॥