Last modified on 31 जुलाई 2008, at 13:45

जीने की लत / शहरयार

मुझसे मिलने आने वाला कोई नहीं है

फिर क्यों घर के दरवाज़े पर तख़्ती अब है

जीने की लत पड़ जाए

तो छूटती कब है।