भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवकान्तक कवितामे / गंग नहौन / निशाकर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जीवकान्तक कवितामे
सन्हिआएल अछि
खोपड़ी पर बैसल चिड़ै
दुआरि-दुआरि छिछिआइत कुकुर
खाँड़ोक पानिमे हेलै महीस
आ मायक देह पर छड़पैत बेदरा।

जीवकान्तक कवितामे
लतरल अछि मधुबनी पेंटिंग
भोतिआएल अछि नारा
उधिआएल अछि कोशीक पानि
हुलकैत अछि वेदना।