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जीवनी / रमेशचन्द्र शाह
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सब अनर्थ है
कहा अर्थ ने
मुझे साध कर
तू अनाथ है
कहा नाथ ने
मुझे नाथ कर
इसी तरह
शह देते आए
मुझे मातबर
पहुचना घर
मगर उन्हें भी
मुझे लाद कर
पनपे खर -
पतवार सभी तो
मुझे खाद कर