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जीवेम् शरदः शतम् / बीना रानी गुप्ता

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अधरों पर शोभित
मंद-मंद स्मित
वाणी में है मिठास
सोहे प्रज्ञा का प्रकाश

सौम्य सहज सरल
व्यक्तित्व की धनी
शिक्षक-वृन्द के मध्य
ज्यों सोहे हीरकमणि

देववाणी की करती रहीं आराधना
लेखनी से झरे मोतियों की लड़ी
कर्तव्य पथ पर बढ़ती रहीं सर्वदा
निष्ठा, कर्मठता, दृढ़ता की प्रतिमूर्ति

दीर्घायु हों, स्वस्थ सानन्द रहें
हम सभी करें यही कामना
जो कार्य अधूरे हैं अभी
वे पूर्ण हो जायें सभी
यही हम सभी की शुभ भावना।