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जुड़ छहिया बिठाय दी / सुभाष चंद "रसिया"

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दुबरा लियके सईंया नीमिया लगाय द।
हमरा के तनी जुड़ छहिया बिठाय द॥

कटी गइले पेड़वा उजरी गइले बनवा।
चलीला डगरिया त लागे नाही मनवा।
सडकी के आरि-आरि पेड़वा लगाय द॥
हमरा के तनी जुड़ छहिया बिठाय द॥

बरखा करावे खुबे खेतिया करावे।
जीये खातिर सुघर ई मौसम बनावे।
कदम की पेड़वा पर झुलवा लगाय द॥
हमरा के तनी जुड़ छहिया बिठाय द॥

बनवा रही त सबके शुद्ध रही तनवा।
लागी ना विमारी त खूब लागी मनवा।
सब जन मिलके सुमनवा उगाय द॥
हमरा के तनी जुड़ छहिया बिठाय द॥

जेठ के दुपहरी में खूब लागे घमवा।
मुश्किल बा जाये के अपनी ही धमवा।
रसिया जी हमरा के डोलिया मांगयद॥
हमरा के तनी जुड़ छहिया बिठाय द॥