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जो कली सो गई रात को / पद्मा सचदेव
Kavita Kosh से
जो कली सो गई रात को
फूल बन गई सुबह,
मेरी लाडली, तू भी सो जा।
पत्तियों पै झुकी चांदनी
डालियों पै रुकी चांदनी,
नींद में चल रही है हवा।
मेरी लाडली, तू भी सो जा।
बादलों में हवा सो गई
रोशनी भी कहीं खो गई,
नींद से बुझता जाए दिया।
मेरी लाडली, तू भी सो जा।
रात बीतेगी, होगी सहर
फूल खिलके तू महकेगी फिर,
रंग लाएगा हर दिन नया।
मेरी लाडली, तू भी सो जा।