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जो भूलें कीं नादानी में / बाबा बैद्यनाथ झा

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जो भूलें कीं नादानी में
करते कुछ लोग जवानी में

तब खूब सताता था उसको
क्या मस्ती थी शैतानी में

हर बार बहा कर ले जाती
यौवन की धार रवानी में

मैंने लिख दी पुस्तक उस पर
फिर दे दी सौंप निशानी में

ले चाव उसे पढ़ते सब हैं
लिख दी हर बात कहानी में