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जो मैं जानती उनके लिए / शैलेन्द्र

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जो मैं जानती उनके लिए
मेरे दिल में कितना प्यार है
इतना प्यार मैं करती क्यों

जो मैं सोच-समझ के चलती
हद से बात गुज़रती क्यों
अन्जाने नयनों से उलझ के
जीते जी मैं मरती क्यों
इतना प्यार मैं करती क्यों ...

हरदम उलझी लट से उलझूँ
काजल फेरूँ अँखियन में
वो जो न आते तो मैं इतना
बनती और सँवरती क्यों
इतना प्यार मैं करती क्यों ...

हाय रे मीठा दर्द जिगर का
हाय रे पहला पहला प्यार
जो मैं जानती ये सब होगा
इस मुश्किल में पड़ती क्यों
इतना प्यार मैं करती क्यों ...

(फ़िल्म - आह)