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जो सच में महान थे / स्तेफान स्पेन्डर

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मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे

मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे ।
जिन्होंने गर्भ से आत्मा के इतिहास को याद किया ।
रोशनी के गलियारों से होते हुए जहाँ समय के सूरज होते हैं
अन्तहीन और गाते हुए, जिनकी ख़ूबसूरत महत्वाकाँक्षा
थी कि उनके होंठ, अब भी आग की तपन से लैस,
सिर से पैर तक गीत पहने उस जीवट की बात कहें
और जिन्होंने बसन्त की शाखों से जमा कर लीं
चाहतें जो उसके शरीर पर फैली थीं मँजरियों जैसे

बेशक़ीमती है कभी न भूलना
अमर बसन्त के रक्त से लिया गया आह्लाद का सार
हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए,
कभी ना नकारना सुबह के सहज प्रकाश में इसके आनन्द को
ना ही इसकी शाम की प्रेम की गम्भीर माँग को ।
यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना
शोर से और धुन्ध से इस जीवट का पनपना ।

बर्फ़ के पास, सूरज के पास, सबसे ऊँचे मैदानों में
देखो कैसे इन नामों का सम्मान हो रहा है लहराती घास द्वारा
और सफ़ेद बादलों की नावों के द्वारा
और ध्यान से सुन रहे आकाश में हवा की फुसफुसाहट द्वारा
जिन्होंने अपने दिल मे रखा आग के मरकज़ को,
सूरज से जन्मे वे कुछ समय सूरज की तरफ ही चल पड़े,
और चँचल हवा पर अपने मान के हस्ताक्षर छोड़ गए ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य