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जो सर्जक हैं... / शशिप्रकाश
Kavita Kosh से
जो सर्जक हैं
रचते हैं जीवन की
बुनियादी शर्तें
और गाते हैं,
चलो, उनसे
उम्मीदों की उम्र,
सपनों की गहराई
और उड़ान की
ऊँचाई माँग लाएँ
अनाज की पूलियों की तरह
लादकर घर लाएँ ।