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जोख़िम / आनंद कुमार द्विवेदी

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सोचता हूँ ओढ़ लूं
किसी की हर चुप्पी
हर इनकार
दूरी की हर कोशिश
और हो जाऊँ
उसी की तरह
एकदम सुरक्षित

प्रेम … एक जोखिम तो है ही !