भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जोख़िम का शब्द / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
क्या है जो
शब्द है कहीं
लेकिन अनुभव नहीं
जोख़िम का शब्द है यहाँ
पर जोख़िम कहाँ
कितनी मुश्किल से पहुँचा
मैं भाषा तक यहाँ
और अब कितनी आसानी से
भाषा को चलाता हूँ
मैं इस तरह
एक षड्यन्त्र करता हूँ भाषा में
ऐसा लगता है
मेरे बच्चे
पढ़ते हैं एक निचुड़ी हुई भाषा
वे होते हैं बड़े
एक बासी पाठ्यक्रम को लादे-लादे
वे देखते हैं
इतिहास के खोखले चित्र
और विस्मय में डूब जाते हैं