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जोशो जुनूँ से लेगी अंगड़ाइयाँ जवानी / रंजना वर्मा
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जोशो जुनून से लेगी अंगड़ाइयाँ जवानी
हिम्मत न टूट जाये मिल जायेगी रवानी
यह जिंदगी तो रब का उपहार है अनोखा
फिर क्यों इसे मिटाने लगते हैं हवा पानी
ग़म हद से गुज़र जाये तो दर्द दवा होता
लिखते हैं लोग फिर भी क्यों दर्द की कहानी
है जिंदगी तमाशा पल का नहीं भरोसा
तूफ़ान में बदलती है क्यों हवा सुहानी
जो आज है वही तो कल का अतीत होगा
जो है भविष्य होगा वो आज की कहानी
इस इश्क़ को क्या कहिये थी हीर या कि लैला
गलियों में फिरी मीरा राधा हुई दिवानी
सिद्धार्थ छोड़ कर घर भटके थे जंगलों में
वह शांति की कहानी जग को है फिर सुनानी