ज्ञान / रमेश ऋतंभर
ज्ञान से ही शुरू होता है दुनिया का सारा झंझट
यदि आदम और हव्वा ने नहीं चखा होता ज्ञान का सेब
तो रह रहे होते मजे में स्वर्ग के सुखी संसार में
न झेलना पड़ता उन्हें मर्त्यलोक में जीने का अभिशाप
उन्हें तब न होता
काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, ईर्ष्या, घृणा व लज्जा का ख्याल
उन्हें तब न होता
सुख-दुख, सच-झूठ, पाप-पुण्य व नैतिक-अनैतिक का ध्यान।
ज्ञान से ही शुरू होता है दुनिया का सारा झंझट
यदि बुद्ध के भीतर ज्ञान की उत्कट प्यास नहीं जगती
तो राजमहल का सुख-वैभव छोड़कर वह जंगल-जंगल नहीं भटकते।
यदि सुकरात के भीतर ज्ञान की अनन्य निष्ठा नहीं फूटती
तो जीवन का आनंद छोड़कर वह ज़हर का प्याला नहीं थामते
यदि कबीर के भीतर ज्ञान का विवेक जागृत नहीं होता
तो खाने और सोने का सुख छोड़कर वह रात-रात भर जागते और बेचैन नहीं होते
ज्ञान से ही शुरू होता है दुनिया का सारा झंझट
जैसे-जैसे आदमी ज्ञान अर्जित करता जाता है
वैसे-वैसे वह कष्ट एवं द्वन्द्व में पड़ता जाता है
इसलिए जिन्हें सांसारिक सुख की चाह है
वे ज्ञान के फेर में कभी न पड़े
ज्ञान का मार्ग बहुत ही कंटकमय है
इस पर विरले-साहसी ही चलते हैं
यह जानकार भी यदि ज्ञान की राह पर
आप अपना पहला क़दम बढ़ाते हैं
तो आपका हार्दिक स्वागत है
तब आप आदम-हव्वा के असली वंशज कहलाने के अधिकारी भी हो सकते हैं।