भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज्योति-द्वार / गोबिन्द प्रसाद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।


पत्ते के झरने से भी
कभी-कभी
शाम में ढल जाती है सुबह
श्ब्दों से भी
कभी-कभी खुलते हैं
ज्योति के द्वार

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।