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ज्वलित / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम
Kavita Kosh से
सुनहरे पतंगे को नहीं था प्यार उससे
अतः वह सुन्दर कीट उड़ गया दूर ।
पर सलेटी पतंगा मण्डराता रहा लौ पर
भोर होने तक ।
और तब एक निष्प्राण कामना सरीखे पंखों सहित
जलते हुए वह समा गया उसी लपट में ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम
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लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Langston Hughes
Fire-Caught
The gold moth did not love him
So, gorgeous, she flew away.
But the gray moth circled the flame
Until the break of day.
And then, with wings like a dead desire,
She fell, fire-caught, into the flame.