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झलक आती / नंदकिशोर आचार्य
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घने अँधियारे जंगल बीच
बहा जाता गो गुपचुप
कहीं झलक-सा जाता है
वह जल
तुम्हारी आँख में ज्यों
झलक आती
कभी कोई बूँद ।
—
5 नवम्बर 2009