झांसी धौरे एक राजा का / रणवीर सिंह दहिया
झांसी के पास राजा का पिछलग्गू एक सरदार था। उसके यहां रहकर आजाद ने कुछ वक्त बिताया। यहां कई लोगों को निशानेबाज बनाया। राजा के बैरी क्रान्तिकारियों को उकसाते थे कि राजा को मारकर धन लूट लो। मगर आजाद इसे ठीक नहीं मानता - क्या बताया भला:
तर्ज: चौकलिया
झांसी धौरे एक राजा का चमचा सरदार बताया रै॥
आजाद नै थोड़े दिन उड़ै अपणा बख्त बिताया रै॥
झांसी के क्रान्तिकारी निशाना लाणा सिखा दिये
अचूक निशाना साधन मैं पारंगत सभी बना दिये
राजा मार कै धन जुटाओ रास्ते कुछ नै बता दिये
बैरी राजा के सलाह देवैं अन्दाजे आजाद लगा लिये
टाल मटौल कर आजाद नै मौका टाल्या चाहया रै॥
राजा के बैरी बोले के पाप जुल्मी नै मारण का
कंस मारण खातर के पाप कृष्ण रूप धारण का
के हरजा खोल बता मौत के घाट तारण का
आजाद बोल्या मसला सै गहराई तै विचारण का
हिंसा म्हारी मजबूरी सै आजाद नै समझाया रै॥
या मजबूरी म्हारे पै शासक आज के थोंप रहे
झूठ भकावैं और लूटैं चाकू कसूते घोंप रहे
सच्चाई का लाग्या बेरा माणस सारे चोंक रहे
हम चटनी गेल्यां खाते ये लगा घीके छोंक रहे
हत्यारे कोन्या हम दोस्तो चाहते देश आजाद कराया रै॥
नेक इरादा नेक काम का ध्येय सै म्हारा यो
नेक तौर तरीके अपणावां सार बात का सारा यो
आजादी म्हारी मंजिल सै फरज म्हारा थारा यो
रणबीर सिंह की कविताई सही लिखै नजारा यो
नरहत्या का आजाद विरोधी उसनै इसा जज्बा दिखाया रै॥