भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

झिमिर झिमिर झिमी बरसे बदरिया / शकुंतला तरार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झिमिर-झिमिर झिमी बरसे बदरिया
टप-टप-टप पानी गिरत हे
गिरत हे पानी
टप-टप-टप पानी गिरत हे
गिरत हे, गिरत हे, पानी गिरत हे
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
खेत-खार मा, फसल झूमे, गाये सवनाही गान
खोर गली हा चिखलाए, नंदिया बोहे उफान
हो राम जी
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो

किसम-किसम के फूल फूलत हे नाचत हे मधुबन मधुबन
नवा-नवा सब जामत हे कोला बारी मगन
आवो जम्मो गावो जम्मो जुरमिल गीत ददरिया गान
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो
हमर कला अउ हमर संस्कृति, सगरी दुनिया जानिस हे
कोस-कोस मा... बोली-भाखा, माहात्तम ला चीन डारिस हे
एला कहिथें, जम्मो झिन, कोसल देस के मनखे अन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
खेत-खार मा, फसल झूमे, गाये सवनाही गान
खोर गली हा चिखलाए नंदिया बोहे उफान
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ममादाई फूफूदाई बूढीदाई वो
ममादाई फूफूदाई बूढीदाई वो