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झूंपड़ी (5) / कुंदन माली

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लोगबाग
केवै है
झूंपड़ी
निजू-चिंतण में
मगन
रेवै है
झूंपड़ी रो
हियो
दुख सूं
कदी ज
खालीं नी
वैवे है ।