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झूम के बादल छाए हैं / देवमणि पांडेय
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तेरी चाहत , तेरी यादें , तेरी ख़ुशबू लाए हैं ।
बरसों बाद हमारी छत पर झूम के बादल छाए हैं ।
- सावन का संदेस मिला जब
- महक उठी पुरवाई
- बूंदों ने छेड़ी है सरगम
- रुत ने ली अंगड़ाई
मन के आंगन में यादों के महके महके साए हैं ।
- जब धानी चूनर लहराई
- बाग़ में पड़ गए झूले
- मन में फूल खिले कजरी के
- तन खाए हिचकोले
बिजुरी के संग रास रचाते मेघ प्यार के आए हैं ।
- दिन में बारिश की छमछम है
- रातों में तनहाई
- किसने लूटा चैन दिलों का
- किसने नींद चुराई
दिल जलता है लेकिन आँसू आँख भिगोने आए हैं ।