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टाबर-२ / दुष्यन्त जोशी
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टाबर खेलै
लड़ै-भीड़ै
बोढद्यै रीस में आय'र
अेक दूजै रै बटकौ
पण
थोड़ी ताळ पछै
टाबर
भळै रमणनै
लाग ज्यावै
बै
आपरी रीस नै
कित्ता चटकै भूल ज्यावै।