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ठरको / निशान्त
Kavita Kosh से
दाणां कढतां ई
आया है
नूंई-नकोर जीप मांय चढ’र
पळकतै
भगवां गाभाळां
पांच-सात मोड
जाणै कोई राज रा अैलकार
आया हुवै
‘लगान-वसूली’ सारू ।