ठारा सौ सतावण में / रणवीर सिंह दहिया
17 अगस्त को बाबर खान के तहत 300 रांघड़ घुडसवारों और 1000 पैदल सैनिकों ने अंग्रेजी सेना पर रोहतक पर धावा बोल दिया। लड़ाई बड़ी भीषण थी। परन्तु कुछ समय बाद अंग्रेजी सैनिक शक्ति की और अधिक कुमुक आ जाने के बाद बागियों को रोहतक छोड़कर हांसी के पास बसी गांव मंे मोर्चा जमाना पड़ा। हडसन खरखोदा, सांपला, पानीपत, महम गोहाना आदि कस्बों का दबाने के बाद इलाके को जींद के महाराजा और चौधारियों के हाथ सौंप कर चला गया। इस लड़ाई में खिडवाली के कई शहीद हुए थे। क्या बताया भलाः
ठारा सौ सतावण में आजादी की पहली जंग लड़ी॥
खिडवाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी॥
माणस खिडवाली के भिड़गं अंग्रेजां के साहमी जाकै
दो फिरंगी तहसील मैं मारे मेम पड़ी तिवाला खाकै
भीतरला जमा भरया पड़या बाट देखैं थे एडडी ठाकै
पाछले जुल्मां का सारा हिसाब फेर धरा लिया आकै
फिरंगी से लड़णे की पूरी गुप्त योजना सही घड़ी॥
बही शेख और लालू वाल्मिकी जमकै लड़ी लड़ई थी
तिरखा बाल्मिकी मोहमा शेख हिम्मत खूब दिखाई थी
जुलफी मोची सुनार राम बक्स आजादी पानी चाही थी
बेमा बाल्मिकी इदुर मौची ने ज्यान की बाजी लाई थी
मुफी औला पठान लडया साथ मैं जनता खूब भिड़ी॥
मोहर नीलगर खिडवाली का ना मुड़कै कदे लखाया
सायर बाल्मिकी लड़ाकू नै फिरंगी तै सबक सिखाया
सुनाकी बाल्मिकी साथ लड़या वो कदे नहीं घबराया
बीर मरद जितने सबनै धुर ताहिं का साथ निभाया
फिरंगी राज के कफन मैं इस जंग नै कील जड़ी॥
खिडवाली ना रहया एकला साथ गामड़ी आया था
एक बै कब्जा रोहतक पै सबने मिलकै जमाया था
फिरंगी भाज लिया था नहीं कोए रास्ता पाया था
बहादुर शाह जफर को राजा सबने ही अपनाया था
रणबीर बरोने आला बतावै जंग की बात बड़ी॥