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ठिठकना / प्रेमरंजन अनिमेष
Kavita Kosh से
एक मिनट के लिए
किसी का हाल पूछने रुकूँगा
और बारिश में घिर जाऊँगा
एक मिनट
राह बताने लगूँगा अजनबी को
और गाड़ी छूट जायेगी
एक मिनट थमकर
एक वृद्ध को सड़क पार कराऊँगा
और काम पर मेरी हाज़िरी कट चुकी होगी
फिर भी चलते-चलते
ठिठकूँगा
एक मिनट के लिए
कि चौबीसों घंटे में अब
इसी एक मिनट में
बची है ज़िन्दगी !