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ठूंठ री मुळक / सांवर दइया
Kavita Kosh से
म्हारी आंख्यां में अटकगी
रूंख री मुळक
दीठी म्हनै
रूंख रै सहारै ऊभी
बेलड़ी
आपरै मीठै फळां री सोरम सागै
कैवै हो ठूंठ-
ऊभी रह
इयांई ऊभी रह
आ सुण बोली बेल-
देखो तो सरी
बूढै सारै रो राम निसरियो है !