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ठोरा-ठप्पी / निशान्त
Kavita Kosh से
घणी दोरी आ
लेवण नी द्यै
आदमी नै औसाण
पण गिणती में
नी आवै
ठावा-ठावा
कामां री
रूत हुवै
दिन हुवै
पण आ तो
उग्यै दिन ई
त्यार रैवै।