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डर / हर्षिता पंचारिया
Kavita Kosh से
पीड़ा नहीं होती होगी
केशों के कटने पर इसलिए,
इतनी आसानी से काट दिए गए
मैं डरती हूँ मेरे मुल्क के गंजे होने पर,
कहीं टोपी पहनाने वालों की चाँदी ना हो जाएँ ।