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डरो, किससे / अलीम किशोकफ़ / वरयाम सिंह
Kavita Kosh से
डरो नहीं, औरत के आँसुओं से,
डरो नहीं, उसकी डाँट से ।
डरो नहीं, अपनी ख़ाली जेब से,
डरो नहीं, ब्राह्मण के शाप से ।
डरो नहीं, दुश्मन की धमकियों से,
डरो नहीं, दोस्तों के धोखे से,
डरो नहीं, ईर्ष्या - प्रेम से ।
पर डरो झूठ की उस राह से
माना हो सच तुमने जिसे ।
रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह