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डाकधर / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
थूं
बीमार
थारी लापरवाही सूं
ठीक होवणौ चावै
तद
नां डर
टैम काड
खुद सारू
अर
प्रकृति नै दिखा
जिकी
सैं’ सूं बड्डी डाकधर।