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डायरी / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
आज-कल डाँटता हूँ बेटी को
बात-बात पर
गुस्सा आ ही जाता है
नाराज़ रहती है बेटी भी
वैसे ही
न मैं उसे समझ पाता हूँ
ना वह मुझे
लगता है जैसे
वह समझना चाहती भी नहीं
वैसे डायरी बेटी लिखती नहीं
पर लिखे तो वह क्या लिखेगी मेरे लिए
इन दिनों यह चिंता मुझे सताती है...