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डार्विन का सिद्धान्त / बृजेश नीरज
Kavita Kosh से
कितने कठिन होते हैं
जीवन के प्रश्न
कठिन
कि असफल हो जाती है पाइथागोरस प्रमेय
कुछ काम नहीं आते
त्रिकोणमितीय सूत्र
भौतिकी के नियम
रासायनिक समीकरण
समाजशास्त्रीय गणित
सिर्फ़ क़िताबों में सिमटकर रह जाते हैं
जीवन को सरल नहीं बना पाते
अर्थशास्त्रीय नियम
पर सारे इन्तज़ाम ऐसे ज़रूर हैं कि
आदमी समझ जाए
डार्विन का सिद्धान्त