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डेमोक्रेसी : दो / सुरेन्द्र डी सोनी
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कूड़ां मांयलो कूड़ो
अर चोरां मांयलो चोर
ओजूं आयो है
लीलाड़ी करयां आगै
थूं देस री चिन्ता करणियों
बडो मास्टर
सदा ही जाड़ां भींचै
क कद लारो छूटसी
आं कुमांणसां सूं
‘और कियां हो प्रोफेसर सा‘ब’
सुणतां ही टूट‘र पड़्यो
बीं सूं हाथ मिलावण नैं
वां’रै राज रा चाकर।