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तकिये की प्रेम कहानी / मुकेश कुमार सिन्हा
Kavita Kosh से
दो तकिये की प्रेम कहानी
चादर की जुबानी
एक पर बना था प्रेम प्रतीक
दूजे पर अलसाई पड़ी थी
एक हसीना दीवानी
थी आँखों में खुमारी
था अलसाया खवाब
जो बसा था प्रेम के
सुहाने समंदर में
तकिये पे बने प्रेम प्रतीक ने
ली देखकर आहें
तो हसीना के नीचे पड़ा दूजा
मचल पडी कह उठी
क्यूँ तडपाते हो
लिख दो न इस चादर पर
एक नई प्रेम कहानी