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तड़प / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
अरे, मेरा करो अपहरण
ले जाओ मुझे अपने यातना-शिविर में
कुछ नहीं कहूंगा मैं
करो जो कुछ भी करना है
मेरे शरीर के साथ
ज़िन्दा जलाओ, काटो
उआ दफ़न करो कहीं मुझे
नदी के किनारे
बर्फ़ीले पहाड़ों पर
किसी गाँव में
या कस्बाई गली में
कहीं घूरे के नीचे
मैं तरस गया हूँ
अपनी ज़मीन के स्पर्श के लिए