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तनिक आँख तो खोल ही लीजिए अब / सूर्यपाल सिंह

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तनिक आँख तो खोल ही लीजिए अब।
रहे चुप बहुत बोल ही लीजिए अब।

उठीं आज चिड़ियाँ बगा़वत करेंगी,
उठो पाँव को तोल ही लीजिए अब।

कहीं भी दया पर न जी तुम सकोगे,
नए पंख कोे खोल ही लीजिए अब।

अलस बैठ देखें सभी आज चिड़ियाँ,
उन्हीं के लिए ओल ही लीजिए अब।

समर तो अभी षेश है यह बहुत ही,
धनुश डोरकस तोल ही लीजिए अब।