Last modified on 3 जुलाई 2010, at 03:24

तपस्वी रूंख / ओम पुरोहित ‘कागद’

सिकी हुई रेत में
खड़ा है
हरियल सपने लेता
खेजड़े का तपस्वी रूंख ।

बरसे अगर एक बूंद
तो निकाल दे
ढेर होते ढोरों के लिए
दो-चार पानड़े
और टोर दे थार में
जीवन के दो-चार पांवड़े ।