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तब-तब / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
फूलों की पंखुड़ियों-सा
तुम्हारा कोमल हृदय
जिसमें सिर्फ भरा हो
प्यार ही प्यार
और वही
तुम्हारा हृदय
जब-जब वार करता है
तब-तब मेरा हृदय
कोमल पंखुड़ियों की धार से
लहू-लुहान हो उठता है ।