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तबादला / नासिर अहमद सिकंदर

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हमीं से कहे कोई
जाओ शहडोल
भोपाल
या दिल्ली
तो न जा पायें
सौ दफे सोचें
लेकिन बच्चियाँ
(हां जी लड़कियाँ
बाबुल की सोन चिरैयाँ)
मेरी बहन का ब्याह
इलाहाबाद के एक छोटे से गांव में
छः दिसंबर को तय है
और दो-चार दिन आगे पीछे
मेरे पड़ोस के
परिहार जी की बिटिया का ब्याह
लखनऊ में
वे
जाने को तैयार
एक दफे भी
सोचे बगैर
खुशी-खुशी !