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तमन्नाओं को रौंद रहा अहम् / शिव रावल
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अब मौत की खबर भेज दो के हालातों से सुलह करना सीख लिया मैंने,
मर-मर के जीना और जी-जी के मरना सीख लिया मैंने,
मुझे मिल गया है वह आइना के जिसमे गैर नज़र आते हैं,
अब तो खुद से ही नफरत करना सीख लिया है मैंने,
तमन्नाओं को रौंद के चलने लगा है ये अहम्,
आरज़ूओं के सर कलम करना सीख लिया है मैंने,
क्या वहशत है किस हद तक गुज़रेगी "शिव"
के बन्दगी हैरान है, दुआ के हाथ खाली हैं
कुछ भूल गए हो तुम या अब सब कुछ याद करना सीख लिया है मैंने