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तलाश / गुलशन मधुर
Kavita Kosh से
अधमुंदी आंखों से
उतर रहा हूं
नींद के सुनसान तट पर
निगाह में दूर तक नहीं है
वह सपना
जिसकी तलाश में
पार कर आया हूं
दिन भर की थकन की
उदास नदी