तस्वीरों से झाँकते पुराने मित्र / गोविन्द माथुर
श्वेत श्याम तस्वीरों में
अभी मौजूद है पुराने मित्र
गले में बाँहें डाले या
कंधे पर कुहनी टिकाए
तस्वीरें देख कर नहीं लगता
बरसों से नहीं मिले होगें
ये मासूम से दिखने वाले
दुबले पतले छोकरे
तस्वीरों से बाहर
मिलना नहीं होता पुराने मित्रों से
कुछ एक को तो देखे हुए भी
पन्द्रह-बीस साल गुजर गए
एक शहर में रहते हुए भी
कभी-कभार कहीं से
ख़बर मिलती किसी की
आकाश की मुत्यु को दो साल हो गए
विमल बहुत शराब पीने लगा है
श्याम बाबू दुबई में है इन दिनों
अचकचा गया एक दिन
अजमेरी गेट पर अंडे खरीदते हुए
एक मोटे आदमी को देख कर
प्रमोद हँस रहा था मुझे पहचान कर
महानगर होते शहर में
ऐसा कभी ही होता है
कोई आपको पहचान रहा हो
ये सोच कर उदास हो जाता है मन
जिन मित्रों के साथ जमती थी महफ़िल
मिलते थे हर रोज़
घंटों खड़े रहते थे चौराहे पर
वे बचपन के मित्र जीवन से निकल कर
तस्वीरों में रह गए है