ताजमहल / कालीकान्त झा ‘बूच’
ताज़ अछि मरमर?
कथमपि नहि औ
मरमर ताज़ अछि!
अनमन ओहिना -
देव अछि पाथर?
कथमपि नहि औ
पाथर देव अछि!
ताज़
प्रेमक प्रतीक छह
उज्जर दपदप
तहूँ सं बेसी
पाक छह साफ़ छह
मांशुक याचना
आशिकक साधना
शाह केर सरबस
याद केर थाक छह
हाय रे दुनियाँ
नेहक बारी
एक्के घरारी
तकरो करबह की नीलामी?
जोधाबाई राजकुमारी
राजभवन सं
बेगम बनि क' गेलि हबेली
आ तहिया सं-
राम रहीमो -
कृष्ण करीमो
वेद पुराणो
आर कुराणो सभटा साझी
प्रेमक पाक समर्पण साझी
चेहरा दू एक दर्पण साझी
इज्जति साझी फज्झति साझी
शहंशाह सलीमो साझी
खुर्रम साझी जामा साझी
मोती मोर सिंहासन साझी
किला परक ओ बाजी साझी
ताज़ परक ई नाजो साझी
क्रोध करी त' कालो साझी
प्रेम करी त' गालो साझी
हासो साझी नोरो साझी
कोमल कोमल ठोरो साझी
पंजाबक गुलशन गुलसाझी
बंगालक कुल बुलबुल साझी
लऱय काल मे धरती साझी
चलय काल मे अर्थी साझी
जीव' में ई जानो साझी
मरि क' गोरि मसानों साझी
जफ़र आ तात्या टोपे साझी
पांडे मराठा गोपे साझी
मनु -मुम्ताज़महल सम साझी
अशफाक भगत आज़ाद धम्म साझी
ग़ज़ल नज़्म आ सोहर साझी
मंदिर मस्जिद गहबर साझी
बूच- हासमी- अमर साझी
साँझक चन्द्रप्रहर साझी
रफ़ी-लतामंगेशकर साझी
पटौदी सुनीलगावस्कर साझी
बिसमिल्लाह रविशंकर साझी
सलीम चिश्तीक शहर साझी
हे काजी हे आचार्य हे हुज़ूर
हम सभ छी बेक़सूर
हा दीन हा धनमान
हा राजा हा सुलतान
हा वजीर हा किसान
हा हिन्नू हा मुसलमान
खून एक पानि दू
की कहू की कहू
भाव एतवे बुझू
सभ-मिलि जुलि रहू