तानाशाहक देशमे / सुकान्त सोम
सात समुद्रक बीच
एकटा टापूमे समस्त अड़बालक संग रह’बला
ओहि गहुमाकांतिक महापुरूषक त्वचा
सिनुरिया आमहुसँ बेसी रक्ताभ छनि
खैंक लगलनि नहि कि शोणित फेकि देतनि
सागरक लहरि सन सघन
हुनक औंठिया केश
साओनक मेघ जकाँ कारी आ
आभरण पानिमे हेलैत
माछक खोंइचा सन झिलमिल छनि
ताहूसँ सुन्दर
टापू बनत ओहि विशाल प्रसादक निर्माण
सोनाक पानिमे डुबाओल तामक पजेबासँ भेल छैक, आ
हुनक बगीचामे आम, जामुन आ महुआसँ
अटल पड़ल अछि
सागर तट पर पसरल अजस्त्र बालु जकाँ
ओत’ मोतीक पथार लागल अछि
आ एतेक वैभव होइतहुँ ओत’
कोनो अबोध नेनाक हास-रूदन नहि छैक
प्राचीक सूर्यकें अर्ध्य दैत कोनो
निर्भय हाथ नहि छैक
बालरविक संग मोतीक पथार दिस दौड़ैत हंस नहि छैक
गोधूलिमे खोंता दिस भागैत
चिड़ैक जेर नहि छैक
ओत’ भोर आ साँझुक अंतर फरिछाब’क
कोनो व्यवस्था नहि छैक
जीवनकें जीवन्त बनएबाक कोनो कारण नहि छैक
ओत’ यैह टा नहि छैक
ओत’ एतबेटाक अभाव छैक