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तारे / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
चंदा-सूरज, दोनों हैं यदि
गोल-गोल लड्डू प्यारे।
झुंड चिटियों औ’ चीटों के
हैं फिर तो नन्हें तारे।
[रचना : 14 मई 1996]