भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ताल / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
घने जंगल में
डूबा हुआ है ताल
अपने में
सँजोए फूल जो झर गए
अपने गहरे जल में कहीं ।
—
20 नवम्बर 2009